अक्सर युवा सोचता है कि बिना कुछ ही उसे वह सबकुछ मिल जाए जो वह चाहता है। इस पर लगातार बहस हो रही है कि भाग्य बड़ा है या कर्म। क्या कुंडली देखकर हम अपना कर्म करें, क्या ग्रह की दशा देखकर यह फैसला लें कि हमें कौनसा कदम कब उठाना है?
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